कंप्यूटर विज्ञानं में , Cache ऐसे डाटा का समूह होता है , जो पहले से ही कही संग्रहित किया जा चूका है एव उस डाटा की प्रति यह रखी गयी हो | वास्तविक डाटा को मेमोरी से एक्सेस करना अधिक महंगा होता है | दुसरे शब्दों में , Cache memory एक अस्थायी संग्रहन क्षेत्र होता है जहा पर डाटा को संग्रहित करके जल्द एक्सेस किया जा सकता है | एक बार डाटा को Cache में संग्रहित करने पर, भविष्य में जरूरत पढने पर Cache से डाटा की प्रति ले ली जाती है जिसके कारण से एक्सेस समय कम हो जाता है |
मेमोरी में लेवल्स का विवरण उसकी माइक्रोप्रोसेसर से निकट एवं एसेसेबिलिटी के द्वारा किया जाता है | Cache माइक्रोप्रोसेसर पर ही मौजूद चिप होती है जबकि सामान्यतः L2 एक अलग स्टेटिक रेम चिप होती है | जो मुख्य रेम होती है उसे डायनामिक रेम चिप कहा जाता है |
RAM (DRAM) Chip
Cache memory के साथ को भी हार्ड डिस्क के लिए cache मेमोरी कहा जाता है क्योंकि Cache में मौजूद सभी डाटा हार्डडिस्क से आता है और जब भी कंप्यूटर को चालू किया जाये और ऑपरेटिंग सिस्टम को लोड किया जाये, Cache में भी एक विशेष क्षेत्र होता है जिसे डिस्क Cache कहा जाता है जहा पर अभी-अभी उपयोग में लाया गया डाटा रखा जाता है |
Cache मेमोरी का कार्य –
Cache Memory एक ऐसा ब्लाक होता है जहा पर डाटा को अस्थायी तोर पर संग्रहित किया जाता है जो निकट भविष्य में उपयोग में आना हो | CPU और हार्डडिस्क Cache का उपयोग निरंतर करते है, जैसा वेब ब्राउज़र एवं वेब सर्वर करते है |
Cache डाटा का समुद्र होता है, जहा पर प्रत्येक डाटा एक प्रति के रूप में होता है एवं वास्तविक डाटा कही और संग्रहित होता है | प्रत्येक डाटा में एक टैग का इस्तेमाल होता है, जो वास्तविक डाटा से मिलान के कम आता है | जब CPU, वेब ब्राउज़र, ऑपरेटिंग सिस्टम डाटा को एक्सेस करना चाहता है तो वह सर्वप्रथम Cache में ढूंढता है | यदि वह डाटा जिसको एक्सेस करना है वह टैग मिलान करके में मिल जाता है तो उसका उपयोग कर लिया जाता है | इस स्थिति Cache-hit को कहा जाता है |
यह भी पढ़े:-
✔ कंप्यूटर क्या होता है?
✔ कंप्यूटर कैसे सीखे
✔ कंप्यूटर का पासवर्ड कैसे तोड़े?
इसके विपरीत स्थिति जहा पर डाटा जिसको एक्सेस करना है एवं वह मेमोरी में नही मिलता है उसे Cache miss कहा जाता है |
दूसरी तरह का store होता है. “Cache” जहा पर गणना किये गए परिणामो को संग्रहित कर दोबारा उपयोग हेतु रखा जाता है | इस तरह करने से दोबारा उपयोग में आने पर समय कम लगता है |
डाटाबेस caching की सहायता से डाटाबेस एप्लीकेशन्स में काफी सुधार आया,उदाहण के लिए इंडेक्स , डाटा डिक्शनरी और अधिक उपयोग में आने वाले डाटा या उसके अंश की प्रोसेसिंग में|
वर्चुअल (Virtual) मेमोरी एक ऐसी कंप्यूटर आधारित तकनीक होती है जिसके द्वारा किसी भी एप्लीकेशन प्रोग्राम को यह आभास होता दिलाया जाता है की उसे Contiguous मेमोरी में रखा गया है,जबकि उस प्रोग्राम को वास्तव भोतिकी रूप से विभाजित मेमोरी में स्थान दिया जाता है, यहाँ तक की डिस्क स्टोरेज ओवरफ्लो तक हो सकता है |
इस बात पर ध्यान दिया जाये की वर्चुअल मेमोरी से तात्पर्य यह नही है कि डिस्क स्पेस का उपयोग कर भोतिक मेमरी के आकर को बढ़ाया जाये | मेमोरी को बढ़ाना, वर्चुअल मेमोरी तकनीक का एक साधारण आधार है, परन्तु इसे कुछ दुसरे तरीके से किया जाता है जो कि किसी भी प्रोग्राम और उससे सम्बन्धित डाटा को Overlay या Swapping विधि से बहार कर देता है जो अभी अनुपयोगी है | वर्चुअल मेमोरी की परिभाषा इस बात पर आधारित है कि किस तरह किसी प्रोग्राम को यह सोचने पर मजबूर किया जाये कि उसे स्टोर करने के लिए बड़े मेमोरी ब्लाक का उपयोग किया गया है, जो की Contiguous एड्रेस पर मौजूद है |
सभी नवीनतम जनरल परपस कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम वर्चुअल मेमोरी का प्रयोग साधारण एप्लीकेशन के लिए करते है, जैसे वर्ड प्रोसेससेर , स्प्रेशीत , मल्टीमीडिया प्लेयर, एकाउंटिंग इत्यादि के लिए | embedded सिस्टम या अन्य स्पेशल परपस कंप्यूटर जो अत्यधिक तीव्र गति से कार्य करते है सामान्यतः वर्चुअल मेमोरी का प्रयोग नही करते है |
(2) Page Tables :- लगभग सभी जगह टेबल का उपयोग वर्चुअल एड्रेस को Physical एड्रेस में बदलने के लिए किया जाता है (जिसे “real address” भी कहा जाता है ) और इसका उपयोग हार्डवेयर द्वारा निर्देशों को प्रोसेस करने के लिये किया जाता है | पेज टेबल में प्रत्येक निर्देश , यह निर्देशित करते ही की उस पेज का शुरूआती वर्चुअल एड्रेस क्या है –या तो वास्तविक मेमोरी एड्रेस जहा पर पेज वास्तव मे स्टोर किया गया है और या इस बात को निर्देशित करता है की पेज डिस्क में अभी कहा रखा है |
किसी भी सिस्टम में या तो सिर्फ एक पेज टेबल रहती है या प्रत्येक एप्लीकेशन की अलग पेज टेबल हो सकती है |
(3) पेजिंग (Paging) :- पेजिंग वेह तकनीक होती है जिसके द्वारा ऐसे pages को वर्चुअल मेमोरी से डिस्क में लाया जाता है जो अभी उपयोग में नही है तथा फिर से उसे वास्तविक मेमोरी में स्टोर कर दिया जाता है ताकि आवश्यकता होने पर बुलाया जा सके |
(4) डायनामिक एड्रेस translation :- जब CPU वर्चुअल एड्रेस पर मौजूद किसी निर्देश को बुलाता है या, किसी निर्देश को execute करता है या किसी डाटा को वर्चुअल एड्रेस पर स्टोर करता है ,तब वर्चुअल एड्रेस को भोतिक एड्रेस में बदल दिया जाता है| यह सब कार्य हार्डवेयर द्वारा किया जाता है जिसे कई बार मेमोरू मैनेजमेंट यूनिट भी कहा जाता है | यदि पेज टेबल यह करता है की वास्तविक मेमोरी में वह वर्चुअल मेमोरी पेज अभी मौजूद नही है तब हार्डवेयर द्वारा पेज फाल्ट घोषित किया जाता है |
(5) सेगमेंटेड वर्चुअल मेमोरी :- कुछ सिस्टम , जैसे Burroughs, वर्चुअल मेमोरी के लिए पेजिंग का उपयोग नही करते है| ऐसे सिस्टम सेगमेंटेशन का उपयोग करते है, जिसके द्वारा किसी भी एप्लीकेशन का वर्चुअल एड्रेस को अनिश्चित लम्बाई के सेगमेंट में बाँट दिया जाता है | इस वर्चुअल एड्रेस में सेगमेंट नंबर और सेगमेंट के अंदर का आफसेट होता है |
दोस्तों अगर आपको हमारा लेख Cache memory in hindi में आपको कैसे लगा हमे comment कर जरुर बताये. इसी तरह की और भी लेख पाने के लिए आज ही हमारी वेबसाइट को फ्री में subscribe करे.
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Cache memory की परिभाषा (Definition) क्या है?
Cache memory एक Random Access Memory होती है, जिसके द्वारा कंप्यूटर माइक्रोप्रोसेसर स्थायी की तुलना में डाटा जल्द एक्सेस कर लेता है | चूँकि माइक्रोप्रोसेसर डाटा को सर्वप्रथम Cache मेमोरी में ढूंढता है और यदि डाटा मिल जाता है उसे ज्यादा समय खर्च नही करना पड़ता है |मेमोरी में लेवल्स का विवरण उसकी माइक्रोप्रोसेसर से निकट एवं एसेसेबिलिटी के द्वारा किया जाता है | Cache माइक्रोप्रोसेसर पर ही मौजूद चिप होती है जबकि सामान्यतः L2 एक अलग स्टेटिक रेम चिप होती है | जो मुख्य रेम होती है उसे डायनामिक रेम चिप कहा जाता है |
RAM (DRAM) Chip
Cache memory के साथ को भी हार्ड डिस्क के लिए cache मेमोरी कहा जाता है क्योंकि Cache में मौजूद सभी डाटा हार्डडिस्क से आता है और जब भी कंप्यूटर को चालू किया जाये और ऑपरेटिंग सिस्टम को लोड किया जाये, Cache में भी एक विशेष क्षेत्र होता है जिसे डिस्क Cache कहा जाता है जहा पर अभी-अभी उपयोग में लाया गया डाटा रखा जाता है |
Cache मेमोरी का कार्य –
Cache Memory एक ऐसा ब्लाक होता है जहा पर डाटा को अस्थायी तोर पर संग्रहित किया जाता है जो निकट भविष्य में उपयोग में आना हो | CPU और हार्डडिस्क Cache का उपयोग निरंतर करते है, जैसा वेब ब्राउज़र एवं वेब सर्वर करते है |
Cache डाटा का समुद्र होता है, जहा पर प्रत्येक डाटा एक प्रति के रूप में होता है एवं वास्तविक डाटा कही और संग्रहित होता है | प्रत्येक डाटा में एक टैग का इस्तेमाल होता है, जो वास्तविक डाटा से मिलान के कम आता है | जब CPU, वेब ब्राउज़र, ऑपरेटिंग सिस्टम डाटा को एक्सेस करना चाहता है तो वह सर्वप्रथम Cache में ढूंढता है | यदि वह डाटा जिसको एक्सेस करना है वह टैग मिलान करके में मिल जाता है तो उसका उपयोग कर लिया जाता है | इस स्थिति Cache-hit को कहा जाता है |
यह भी पढ़े:-
✔ कंप्यूटर क्या होता है?
✔ कंप्यूटर कैसे सीखे
✔ कंप्यूटर का पासवर्ड कैसे तोड़े?
इसके विपरीत स्थिति जहा पर डाटा जिसको एक्सेस करना है एवं वह मेमोरी में नही मिलता है उसे Cache miss कहा जाता है |
Caches memory के प्रकार (Types of Caches) हिन्दी में.
सर्च इंजन भी वेब pages सर्वप्रथम Cache memory में ढूढ़ते जिसे पहले से ही इंडेक्स किया गया हो | उदहारण के लिए गूगल द्वारा “Cache” लिंक का उपयोग सर्च के लिए किया जाता है |दूसरी तरह का store होता है. “Cache” जहा पर गणना किये गए परिणामो को संग्रहित कर दोबारा उपयोग हेतु रखा जाता है | इस तरह करने से दोबारा उपयोग में आने पर समय कम लगता है |
डाटाबेस caching की सहायता से डाटाबेस एप्लीकेशन्स में काफी सुधार आया,उदाहण के लिए इंडेक्स , डाटा डिक्शनरी और अधिक उपयोग में आने वाले डाटा या उसके अंश की प्रोसेसिंग में|
Virtual Memory & Physical Memory
प्रोग्राम को स्टोर करते वक्त यह आभास होता है की उसे Contiguous एड्रेस पर रखा गया है| परन्तु वास्तव में प्रोग्राम का वह भाग जो अभी उपयोग में लाया जा रहा है उसे RAM में तथा जो अभी उपयोग में नही लाया जा रहा है उसे डिस्क में रखा जाता है |वर्चुअल (Virtual) मेमोरी एक ऐसी कंप्यूटर आधारित तकनीक होती है जिसके द्वारा किसी भी एप्लीकेशन प्रोग्राम को यह आभास होता दिलाया जाता है की उसे Contiguous मेमोरी में रखा गया है,जबकि उस प्रोग्राम को वास्तव भोतिकी रूप से विभाजित मेमोरी में स्थान दिया जाता है, यहाँ तक की डिस्क स्टोरेज ओवरफ्लो तक हो सकता है |
इस बात पर ध्यान दिया जाये की वर्चुअल मेमोरी से तात्पर्य यह नही है कि डिस्क स्पेस का उपयोग कर भोतिक मेमरी के आकर को बढ़ाया जाये | मेमोरी को बढ़ाना, वर्चुअल मेमोरी तकनीक का एक साधारण आधार है, परन्तु इसे कुछ दुसरे तरीके से किया जाता है जो कि किसी भी प्रोग्राम और उससे सम्बन्धित डाटा को Overlay या Swapping विधि से बहार कर देता है जो अभी अनुपयोगी है | वर्चुअल मेमोरी की परिभाषा इस बात पर आधारित है कि किस तरह किसी प्रोग्राम को यह सोचने पर मजबूर किया जाये कि उसे स्टोर करने के लिए बड़े मेमोरी ब्लाक का उपयोग किया गया है, जो की Contiguous एड्रेस पर मौजूद है |
सभी नवीनतम जनरल परपस कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम वर्चुअल मेमोरी का प्रयोग साधारण एप्लीकेशन के लिए करते है, जैसे वर्ड प्रोसेससेर , स्प्रेशीत , मल्टीमीडिया प्लेयर, एकाउंटिंग इत्यादि के लिए | embedded सिस्टम या अन्य स्पेशल परपस कंप्यूटर जो अत्यधिक तीव्र गति से कार्य करते है सामान्यतः वर्चुअल मेमोरी का प्रयोग नही करते है |
Implementation विधि –
(1) Paged Virtual Memory :- वर्चुअल मेमोरी के उपयोग में, वर्चुअल एड्रेस द्वारा एप्लीकेशन प्रोग्राम को pages में विभाजित किया जाता है | पेज, वर्चुअल मेमोरी एड्रेस का एक Contigous block होता है | सामान्यतः पेज का साइज़ 4Kb होता है और ऐसे सिस्टम जिसकी वर्चुअल एड्रेस की क्षमता ज्यादा होती है| या रियल मेमोरी की क्षमता ज्यादा होती है (e.g. RAM) का साइज़ भी बड़ा होता है |(2) Page Tables :- लगभग सभी जगह टेबल का उपयोग वर्चुअल एड्रेस को Physical एड्रेस में बदलने के लिए किया जाता है (जिसे “real address” भी कहा जाता है ) और इसका उपयोग हार्डवेयर द्वारा निर्देशों को प्रोसेस करने के लिये किया जाता है | पेज टेबल में प्रत्येक निर्देश , यह निर्देशित करते ही की उस पेज का शुरूआती वर्चुअल एड्रेस क्या है –या तो वास्तविक मेमोरी एड्रेस जहा पर पेज वास्तव मे स्टोर किया गया है और या इस बात को निर्देशित करता है की पेज डिस्क में अभी कहा रखा है |
किसी भी सिस्टम में या तो सिर्फ एक पेज टेबल रहती है या प्रत्येक एप्लीकेशन की अलग पेज टेबल हो सकती है |
(3) पेजिंग (Paging) :- पेजिंग वेह तकनीक होती है जिसके द्वारा ऐसे pages को वर्चुअल मेमोरी से डिस्क में लाया जाता है जो अभी उपयोग में नही है तथा फिर से उसे वास्तविक मेमोरी में स्टोर कर दिया जाता है ताकि आवश्यकता होने पर बुलाया जा सके |
(4) डायनामिक एड्रेस translation :- जब CPU वर्चुअल एड्रेस पर मौजूद किसी निर्देश को बुलाता है या, किसी निर्देश को execute करता है या किसी डाटा को वर्चुअल एड्रेस पर स्टोर करता है ,तब वर्चुअल एड्रेस को भोतिक एड्रेस में बदल दिया जाता है| यह सब कार्य हार्डवेयर द्वारा किया जाता है जिसे कई बार मेमोरू मैनेजमेंट यूनिट भी कहा जाता है | यदि पेज टेबल यह करता है की वास्तविक मेमोरी में वह वर्चुअल मेमोरी पेज अभी मौजूद नही है तब हार्डवेयर द्वारा पेज फाल्ट घोषित किया जाता है |
(5) सेगमेंटेड वर्चुअल मेमोरी :- कुछ सिस्टम , जैसे Burroughs, वर्चुअल मेमोरी के लिए पेजिंग का उपयोग नही करते है| ऐसे सिस्टम सेगमेंटेशन का उपयोग करते है, जिसके द्वारा किसी भी एप्लीकेशन का वर्चुअल एड्रेस को अनिश्चित लम्बाई के सेगमेंट में बाँट दिया जाता है | इस वर्चुअल एड्रेस में सेगमेंट नंबर और सेगमेंट के अंदर का आफसेट होता है |
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